शिमला 12 अगस्त 2025,चीफ़ ब्यूरो विजय समयाल
इस पहल का उद्देश्य शिमला को रेबीज़-मुक्त शहर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाना था, जिसके तहत प्राथमिक फोकस आवारा और सामुदायिक कुत्तों में उच्च स्तर का टीकाकरण कवरेज हासिल करना रहा। अभियान में एमसी शिमला, पशुपालन विभाग और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे मिशन रेबीज़ इंडिया, ह्यूमेन पीपल रामपुर, कम्पैशन फॉर एनिमल वेलफेयर, नेबरहुड वूफ दिल्ली, पीपल फ़ार्म और जस्ट बी फ़्रेंडली असम सहित स्थानीय सहयोगियों की सक्रिय भागीदारी रही।
अभियान का संचालन जिला नोडल अधिकारी (रेबीज़ नियंत्रण) डॉ. अनिल कुमार शर्मा के नेतृत्व में सात विशेष टीमों ने किया, जिनमें वैक्सीनेटर, डेटा कलेक्टर, हैंड कैचर, नेट कैचर और ड्राइवर शामिल थे। इन टीमों ने वार्डवार जाकर व्यवस्थित तरीके से कार्य किया और कुल 3,507 कुत्तों का टीकाकरण किया। यह संख्या शिमला की अनुमानित कुत्ता आबादी का लगभग 90% है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार रेबीज़ चक्र को रोकने के लिए 70% कवरेज अनिवार्य माना जाता है। इस लिहाज से शिमला ने अंतरराष्ट्रीय मानकों से भी अधिक सफलता प्राप्त की और इसे मजबूत प्रशासनिक समन्वय तथा सामुदायिक भागीदारी का अनूठा उदाहरण कहा गया।
स्थानीय निवासियों और पशु-प्रेमियों ने इस उपलब्धि का स्वागत करते हुए कहा कि यह न केवल मानव जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि पशुओं के प्रति मानवीय दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देगा। अधिकारियों का कहना है कि यह केवल एक शुरुआत है। आगे वार्षिक बूस्टर डोज़ और नए जन्मे पिल्लों के टीकाकरण की योजना बनाई गई है, ताकि अगले तीन वर्षों में शिमला को पूर्ण रूप से रेबीज़-फ्री घोषित किया जा सके।

