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हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी निर्णय लेते हुए पटवारियों की दिनचर्या को डिजिटल मंच पर दर्ज करवाने की नई व्यवस्था लागू की।

RamParkash Vats
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पटवारघरों में आधारभूत ढांचा ही मुहैया नहीं करवाया गया है। अगर बिना किसी आधारभूत सरंचना के यह कार्य थोपा गया तो वे अपने मोबाइल फोन से किए जाने वाले अन्य कार्यों को भी ठप कर देंगे। -सतीश चौधरी, अध्यक्ष पटवार एवं कानूनगो महासंघ, हिमाचल प्रदेश

न्यूज़ इंडिया आजतक, संपादक राम प्रकाश वत्स

शिमला,29 अगस्त 2025 : सामूहिक जनहित में सरकार का सराहनीय कदमहिमाचल प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी निर्णय लेते हुए पटवारियों की दिनचर्या को डिजिटल मंच पर दर्ज करवाने की नई व्यवस्था लागू की है। पहली सितंबर से शुरू होने जा रही यह प्रणाली “ई-रोजनामचा” और “ई-करगुजारी” मॉड्यूल पर आधारित होगी। यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता, जवाबदेही और जनहित में उठाया गया एक महत्वपूर्ण सुधार है।1. डिजिटल व्यवस्था की अहमियत

राजस्व विभाग आम नागरिकों के जीवन से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। जमीन-जायदाद से लेकर राजस्व अभिलेखों तक, हर प्रक्रिया का पटवारी स्तर पर सटीक और पारदर्शी होना जरूरी है। अब तक यह कार्य परंपरागत ढंग से होता आया है, जिसके चलते भ्रष्टाचार, देरी और रिकॉर्ड में गड़बड़ी जैसी शिकायतें आम थीं। डिजिटल प्रणाली लागू होने से प्रत्येक पटवारी की कार्य-प्रणाली ऑनलाइन दर्ज होगी, जिससे जनता को वास्तविक समय में जानकारी मिल सकेगी और पारदर्शिता कायम होगी।

2. पायलट प्रोजेक्ट से मिली सीख

अगस्त में शुरू हुए पायलट प्रोजेक्ट ने इस पहल की व्यवहारिक चुनौतियों और संभावनाओं दोनों को उजागर किया। तकनीकी दिक्कतें, इंटरनेट की कमी और आधारभूत ढांचे की अनुपलब्धता जैसे मुद्दे सामने आए। सरकार ने इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए पोर्टल को और परिष्कृत किया है। यह बताता है कि सरकार केवल आदेश थोपने की बजाय सुधारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रही है।

3. चुनौतियाँ और सवाल

पटवारी संघ ने आधारभूत ढांचे की कमी को लेकर उचित चिंता जताई है। यह भी सच है कि कई पटवारखानों में ब्रॉडबैंड सुविधा तक उपलब्ध नहीं है और पटवारियों को अपने निजी मोबाइल और इंटरनेट पर निर्भर रहना पड़ रहा है। यदि डिजिटल व्यवस्था को सफल बनाना है तो सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक पटवारघर में पर्याप्त तकनीकी साधन और प्रशिक्षण उपलब्ध हो। अन्यथा यह सुधार बोझ बन सकता है।

4. जनता के लिए फायदे

इन चुनौतियों के बावजूद इस व्यवस्था के दूरगामी लाभ असंदिग्ध हैं।

1. नागरिकों को जमीन और राजस्व रिकॉर्ड की अद्यतन जानकारी आसानी से मिलेगी।

2. पटवारियों की कार्यप्रणाली पर निगरानी आसान होगी, जिससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी।

3. भविष्य में जमीन विवाद और रिकॉर्ड गड़बड़ी जैसी समस्याएं काफी हद तक सुलझ जाएंगी।

4. प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तेजी आएगी और डिजिटल इंडिया मिशन को नया बल मिलेगा।

हिमाचल प्रदेश सरकार का यह कदम निश्चित ही सामूहिक जनहित में सराहनीय और ऐतिहासिक है। हालांकि चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन यह भी सच है कि बिना पहल किए कभी सुधार संभव नहीं होता। पटवारियों की आपत्तियों को गंभीरता से लेते हुए यदि आधारभूत ढांचे को मजबूत किया जाए तो यह प्रोजेक्ट न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए आदर्श मॉडल बन सके

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