न्यूज़ इंडिया आजतक कार्यालय भरमाड , प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक संपादक राम प्रकाश वत्स

समाज की सच्ची प्रगति तब ही संभव है जब उसके युवा स्वस्थ, सशक्त और जागरूक हों। किशोरावस्था जीवन का वह संक्रमणकाल है जब बचपन और युवावस्था के बीच शरीर, मन और विचारों में तीव्र परिवर्तन होते हैं। यही वह समय है जब सही मार्गदर्शन मिलने पर बच्चा समाज का आदर्श नागरिक बन सकता है, और गलत दिशा मिलने पर भटक भी सकता है। इसी उद्देश्य से खण्ड चिकित्सा अधिकारी नगरोटा सुरियाँ डॉ. अमन दुआ के निर्देशन में राजकीय उच्च पाठशाला कथोली में किशोर स्वास्थ्य एवं कल्याण दिवस का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री सुरेंद्र कुमार ने की।

कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरों में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाना और उन्हें नशे व कुपोषण जैसी बुराइयों से दूर रखना था। स्वास्थ्य पर्यवेक्षक श्री सुभाष चंद ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि किशोरावस्था सबसे संवेदनशील अवस्था होती है — इस काल में बच्चा अपनी संगति, विचार और परिवेश से अत्यधिक प्रभावित होता है। अच्छी संगत उसे ऊँचाइयों पर पहुँचा सकती है, जबकि बुरी संगत पतन का कारण बन जाती है। उन्होंने युवाओं को नशे की ओर बढ़ते कदमों से सावधान करते हुए बताया कि आज समाज में लगभग अस्सी प्रतिशत युवा किसी न किसी रूप में नशे की गिरफ्त में हैं। बीड़ी, सिगरेट, शराब, गुटका, भांग, चिट्टा, और दवाओं का दुरुपयोग जैसे नशे न केवल शारीरिक क्षति पहुँचा रहे हैं बल्कि मानसिक संतुलन भी बिगाड़ रहे हैं।

श्री सुभाष चंद ने वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर बताया कि नशा करने वालों में मुँह, फेफड़ों और लिवर का कैंसर तथा हृदय संबंधी रोगों की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि समाज में बढ़ते अपराध, बलात्कार, सड़क दुर्घटनाएँ और चोरी जैसी घटनाएँ नशे की इस भयावह लहर से जुड़ी हुई हैं। जब किसी व्यक्ति का मस्तिष्क नशे के प्रभाव में होता है, तो उसका विवेक, नियंत्रण और निर्णय क्षमता समाप्त हो जाती है।उन्होंने विद्यार्थियों को संतुलित आहार के महत्व पर भी बल दिया। उनका कहना था कि किशोरावस्था में शरीर का विकास तीव्र गति से होता है, ऐसे में संतुलित भोजन — जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज और पर्याप्त जल शामिल हो — अत्यंत आवश्यक है। पोषण की कमी से बच्चों में कुपोषण, रक्ताल्पता (एनीमिया) और कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता जैसी समस्याएँ जन्म लेती हैं।

कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा और सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करने हेतु भाषण एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। भाषण प्रतियोगिता में रजत ने प्रथम, हर्षिता ने द्वितीय और जोत ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजेताओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से पुरस्कार और रिफ्रेशमेंट प्रदान किए गए, जिससे बच्चों का उत्साह और बढ़ा।कार्यक्रम में सी.एच.ओ. निधि शर्मा ने भी बच्चों को नशे से दूर रहने और इसके दुष्प्रभावों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि नशा न केवल व्यक्ति का शरीर नष्ट करता है बल्कि परिवार और समाज की नींव को भी कमजोर कर देता है। हर किशोर को चाहिए कि वह स्वयं तो नशे से बचे ही, साथ ही दूसरों को भी इसके विरुद्ध जागरूक करे। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे संतुलित जीवन शैली अपनाएँ, समय पर भोजन करें, पर्याप्त नींद लें और खेल-कूद में सक्रिय भागीदारी करें।

कार्यक्रम के समापन पर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री सुरिंदर कुमार ने स्वास्थ्य विभाग का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों को सही दिशा प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि आज जब समाज में नशे का विष धीरे-धीरे फैल रहा है, ऐसे में स्कूल स्तर पर इस तरह की जागरूकता गतिविधियाँ अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमन दुआ को धन्यवाद देते हुए भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन का आग्रह किया।इस अवसर पर विद्यालय के लगभग 95 विद्यार्थी एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे। सभी ने यह संकल्प लिया कि वे स्वयं नशे से दूर रहेंगे और अपने परिवार, मित्रों तथा समाज में भी स्वास्थ्य और जागरूकता का संदेश फैलाएँगे।

किशोर स्वास्थ्य दिवस जैसे आयोजन यह सिखाते हैं कि युवा केवल भविष्य के निर्माता नहीं, बल्कि वर्तमान के परिवर्तनकर्ता भी हैं। यदि वे स्वस्थ, सशक्त और नैतिक रूप से दृढ़ रहेंगे, तो राष्ट्र की दिशा और दशा दोनों उज्ज्वल होंगी। नशे से दूरी और संतुलित जीवनशैली ही स्वस्थ समाज की असली पहचान है।

