यह संदेश पूरी दुनिया के लिए स्पष्ट है — भारत की महिलाएँ अब केवल सपने नहीं देखतीं, उन्हें साकार करने के लिए आकाश तक पहुँच जाती हैं।
न्यूज़ इंडिया आजतक कार्यालय भरमाड , प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक ,संपादक राम प्रकाश वत्स
गौरतलब है भारत के इतिहास के पन्नों में आकाश में बुधवार का दिन महिलाओं के लिए इतिहास बन गया। हिमाचल प्रदेश की बहू और देश की पहली महिला राफेल पायलट स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ राफेल विमान में उड़ान भरकर न केवल भारतीय वायुसेना के स्वाभिमान को नई ऊँचाई दी, बल्कि पूरे देश को यह संदेश दिया कि भारत की महिलाएँ अब किसी से कम नहीं हैं। यह क्षण भारतीय नारी शक्ति की नई परिभाषा गढ़ गया — साहस, संकल्प और सम्मान की परिभाषा।
राष्ट्रपति की दूरदर्शी पहल — नारी सशक्तिकरण की नई उड़ान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का शिवांगी सिंह के साथ राफेल में बैठना केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सोच में आए गहरे बदलाव का प्रतीक है। उन्होंने यह दिखाया कि देश की सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन महिला जब आधुनिकतम युद्धक विमान में उड़ान भरती है, तो यह दृश्य केवल एक फोटो नहीं, बल्कि विश्व मंच पर भारत की महिलाओं की शक्ति और समानता का घोषणापत्र बन जाता है।यह राष्ट्रपति की दूरदर्शी सोच और महिलाओं पर विश्वास का प्रमाण है। उन्होंने दुनिया को संदेश दिया कि अब भारत की बेटियाँ धरती से लेकर अंतरिक्ष तक, हर क्षेत्र में अपनी पहचान गढ़ रही हैं।
डरोह में उमड़ा गर्व का सैलाब
जैसे ही राफेल उड़ान की तस्वीरें सामने आईं, पालमपुर के समीप डरोह पंचायत में स्थित शिवांगी के ससुराल में खुशी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने मिठाइयाँ बाँटीं, बच्चों ने झंडे लहराए और पूरा कस्बा गर्व से झूम उठा।शिवांगी के ससुर सुनील कुमार शर्मा, जो भारतीय सेना के सिग्नल कोर से सेवानिवृत्त हैं, गर्व से कहते हैं, “हम बच्चों को शिक्षा और संस्कार दे सकते हैं, पर ऐसी ऊँचाई तक पहुँचाना उनका अपना संकल्प है। हमारी बहू ने केवल परिवार नहीं, पूरे देश का नाम रोशन किया है।”शिवांगी के पति आकिल शर्मा भी भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट हैं, जबकि उनके दिवंगत दादा ज्ञान चंद शर्मा डोगरा रेजिमेंट से सेवानिवृत्त हुए थे। तीन पीढ़ियों से यह परिवार देश सेवा में समर्पित है — और अब शिवांगी ने इस परंपरा को नई बुलंदी दे दी है।
पाकिस्तान के झूठ की खुली पोल
यह उड़ान उस झूठे प्रचार पर भी करारा प्रहार बन गई जो पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान फैलाया था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि भारत की महिला राफेल पायलट शिवांगी सिंह को हिरासत में ले लिया गया है। लेकिन राष्ट्रपति के साथ उनकी राफेल उड़ान ने वह दावा चकनाचूर कर दिया।यह केवल एक सैन्य उपलब्धि नहीं, बल्कि सत्य और राष्ट्र सम्मान की विजय थी। दुनिया ने देख लिया कि भारत की बेटी किसी भी झूठ या प्रचार से बड़ी है — वह अपने कर्मों से जवाब देना जानती है।
संघर्ष से सफलता तक — शिवांगी का प्रेरणादायक सफर
वाराणसी की रहने वाली शिवांगी सिंह ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने भारतीय वायुसेना अकादमी, हैदराबाद से प्रशिक्षण प्राप्त किया।
वर्ष 2017 में वे भारतीय वायुसेना की महिला फाइटर पायलटों के दूसरे बैच में शामिल हुईं। उन्होंने शुरुआती वर्षों में मिग-21 बाइसन जैसे तेज़ और चुनौतीपूर्ण विमान उड़ाए। उनके साहस, सटीक निर्णय और अनुशासन को देखकर 2020 में उन्हें राफेल फाइटर जेट उड़ाने के लिए चुना गया। इस तरह वे भारत की पहली महिला राफेल पायलट बनीं।यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। एक ऐसी बेटी, जिसने पुरुष प्रधान समझे जाने वाले क्षेत्र में अपनी योग्यता से स्थान बनाया, और आज राष्ट्रपति के साथ आसमान में उड़ी।
महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत
राफेल की कॉकपिट से उड़ान भरती शिवांगी की तस्वीरें आज हर उस लड़की के दिल में उम्मीद की चिंगारी जगाती हैं जो अपने सपनों को पंख देना चाहती है। यह उड़ान संदेश देती है कि “सीमाएँ केवल सोच में होती हैं, साहस में नहीं।”
राष्ट्रपति मुर्मु और शिवांगी सिंह की यह उड़ान भारत की उस नारी शक्ति का प्रतीक है, जो खेतों से लेकर फौज तक, शिक्षा से लेकर विज्ञान तक — हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है।
नारी सशक्तिकरण की नई दिशा
भारत की महिला राष्ट्रपति और भारत की पहली महिला राफेल पायलट — दोनों एक ही कॉकपिट में — यह दृश्य भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और प्रगतिशीलता की चरम अभिव्यक्ति है। यह दुनिया को बताता है कि भारत केवल आर्थिक या सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि समानता और नारी सम्मान की मिसाल भी है।हिमाचल की बहू शिवांगी सिंह की यह उड़ान केवल राफेल की नहीं थी — यह भारत की नारी शक्ति की उड़ान थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की दूरदर्शी सोच और शिवांगी सिंह के साहस ने मिलकर वह दृश्य रचा, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ “भारत की बेटी का आकाश-विजय” कहेंगी।

