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नूरपुर के विद्यार्थियों की पहल — मानवता के लिए प्रेरक अभियान, नशा मुक्त समाज का संकल्प

RamParkash Vats
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नूरपुर, 28 अक्तूबर 2025/ स्टेट चीफ़ ब्यूरो विजय समयाल

आज नूरपुर शहर मानवता और सामाजिक चेतना के एक अद्भुत उदाहरण का साक्षी बना, जब राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (छात्र), नूरपुर के विद्यार्थियों ने नशा मुक्त भारत अभियान के तहत एक विशाल जागरूकता रैली निकालकर समाज को स्वच्छ, स्वस्थ और नशा मुक्त बनाने का संदेश दिया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सौजन्य से आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। उनके हाथों में सच्चाई, जागरूकता और मानवता के संदेश लिखी तख्तियाँ थीं — “नशा छोड़ो, जीवन को संवारो” और “गांजा-भांग, शराब-तंबाकू — तन, मन, धन के ये सब डाकू।” यह दृश्य मानवता की भलाई के लिए युवा शक्ति के संकल्प का सशक्त प्रतीक था।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसडीएम अरुण शर्मा ने विद्यार्थियों को नशा न करने की शपथ दिलाई और उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि नशा न केवल व्यक्ति को बल्कि परिवार और समाज को भी विनाश की ओर ले जाता है। यदि युवा वर्ग इस बुराई से दूर रहे तो राष्ट्र का भविष्य उज्ज्वल होगा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को केवल पढ़ाई और अपने लक्ष्य प्राप्त करने का “नशा” करना चाहिए, जिससे वे अपने जीवन में ऊँचाइयों को छू सकें और समाज के निर्माण में सकारात्मक योगदान दें।

इस अवसर पर तहसील कल्याण अधिकारी अनुराधा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए नशे के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दुष्प्रभावों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नशा व्यक्ति की बुद्धि को कुंठित करता है और जीवन की ऊर्जा को नष्ट कर देता है। उन्होंने बच्चों से अपील की कि वे अपने परिवार, मित्रों और समुदाय को भी नशे से दूर रहने की प्रेरणा दें, क्योंकि एक व्यक्ति का सुधार पूरे समाज को दिशा दे सकता है।

विद्यार्थियों द्वारा निकाली गई रैली शहर की गलियों में मानवता और जागरूकता की गूंज बन गई। सैकड़ों छात्र-छात्राएँ नशे के खिलाफ नारे लगाते हुए आगे बढ़े और आम जनता को इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूक किया। स्थानीय लोगों ने भी विद्यार्थियों की इस पहल की सराहना की और इसे एक “मानवता की मुहिम” बताया। यह रैली न केवल एक अभियान थी, बल्कि यह आने वाली पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य की पुकार भी थी।

नूरपुर में विद्यार्थियों की यह पहल इस बात का प्रमाण है कि समाज में बदलाव लाने के लिए बड़ी उम्र नहीं, बल्कि बड़ा विचार और नेक संकल्प आवश्यक है। युवाओं द्वारा मानवता की भलाई और नशा मुक्त समाज की दिशा में उठाया गया यह कदम न केवल हिमाचल बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है। यदि ऐसे प्रयास निरंतर जारी रहे, तो निस्संदेह आने वाला भारत स्वस्थ, जागरूक और मानवीय मूल्यों से संपन्न बनेगा।

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