SHIMLA:News :India Aaj Tak. State Chief Bureau Vijay Samayal
हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में स्वास्थ्य और चिकित्सा पर्यटन को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। केरल की तर्ज पर पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणालियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अब राज्यभर के 12 आयुर्वेदिक अस्पतालों में एक वर्षीय पंचकर्मा तकनीशियन पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। आयुष विभाग आगामी शैक्षणिक सत्र से इस योजना को लागू करेगा, जिसके अंतर्गत 252 विद्यार्थियों को प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा। फिलहाल पूरे प्रदेश में इस पाठ्यक्रम के लिए मात्र 36 सीटें ही उपलब्ध थीं, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशों के बाद इस संख्या को आठ गुना तक बढ़ाने की तैयारी है।
एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, राजीव गांधी राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक महाविद्यालय, पपरोला (कांगड़ा) और क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अस्पताल, छोटा शिमला में वर्तमान में पंचकर्मा तकनीशियन पाठ्यक्रम की 18-18 सीटें हैं। अब इन संस्थानों में क्रमशः 36 और 24 सीटें की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, 12 नए आयुर्वेदिक अस्पतालों में भी यह प्रशिक्षण प्रारंभ किया जाएगा — जिनमें बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, सोलन, ऊना और नाहन के जिला आयुर्वेदिक अस्पतालों के साथ नालागढ़, देहरा और रामपुर के संस्थान शामिल हैं। प्रत्येक संस्थान में 16 सीटें रखी गई हैं।
राज्य सरकार का उद्देश्य है कि हिमाचल को “हेल्थ एंड मेडिकल टूरिज्म हब” के रूप में विकसित किया जाए। प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से समृद्ध है, जो पंचकर्म चिकित्सा की मूल आवश्यकता हैं। सरकार इन संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना चाहती है। इससे न केवल राज्य की आय में वृद्धि होगी बल्कि युवाओं के लिए आयुर्वेदिक स्वास्थ्य क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने आयुष विभाग को निर्देश दिए हैं कि प्रशिक्षण संस्थानों की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए उन्नत प्रयोगशालाएं, आवासीय सुविधाएं और व्यवहारिक प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। सरकार का मानना है कि पंचकर्म तकनीशियन तैयार होने से हिमाचल की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को नया आयाम मिलेगा और यह पहल प्रदेश के आत्मनिर्भर स्वास्थ्य मॉडल की दिशा में एक सशक्त कदम सिद्ध होगी।

