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संपादकीय मंथन और चिंतन:पेंशन योजना पर कैग की सख्त टिप्पणी

RamParkash Vats
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हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा एक अप्रैल 2023 से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने पर कैग ने गंभीर टिप्पणी की है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की ऋण धारणीयता का आकलन करते समय आने वाले वर्षों में ओपीएस के चलते वित्तीय बोझ को ध्यान में रखना आवश्यक है। वर्ष 2019-20 से 2023-24 के बीच अप्रतिबद्ध व्यय के तहत सब्सिडी 1,067.78 करोड़ से बढ़कर 1,768.35 करोड़ रुपये हो गई, जिसमें बिजली सब्सिडी का हिस्सा 35% से बढ़कर 53% तक पहुंचा। यह रुझान सरकार की भविष्य की वित्तीय स्थिति पर गहरा दबाव डाल सकता है

कैग ने स्पष्ट कहा कि ओपीएस लागू करने के बावजूद राज्य ने इसके वित्तीय प्रभाव को संभालने के लिए कोई पृथक पेंशन निधि नहीं बनाई। इसके चलते पेंशन भुगतान राज्य के अपने संसाधनों से ही होगा। 2023-24 में सरकार ने 731.09 करोड़ रुपये की गारंटी दी, जो ऋण देनदारियों का बोझ और बढ़ाती है। रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि 2019-24 के बीच राजस्व प्राप्तियां 30,742 करोड़ से बढ़कर 39,173 करोड़ रुपये हुईं, जबकि राजस्व व्यय 30,730 करोड़ से बढ़कर 44,731 करोड़ रुपये पहुंच गया। औसत वार्षिक वृद्धि दर के अनुसार राजस्व व्यय 8.97% की दर से बढ़ा, जो राजस्व प्राप्तियों की 4.92% की दर से कहीं अधिक है।

कैग ने राज्य सरकार के विभागों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। 31 मार्च 2023 तक गबन, हानि और चोरी के 30 मामले सामने आए, जिनमें 49.56 लाख रुपये की राशि जुड़ी थी। वर्ष 2023-24 में मात्र 15 मामलों का निपटान हुआ, जबकि 38.39 लाख रुपये से जुड़े 15 मामले अब भी लंबित रहे। इनमें से 80% मामले सरकारी सामग्री के दुरुपयोग से जुड़े थे और सभी पांच वर्ष से अधिक पुराने निकले। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई विभागों ने अंतिम कार्रवाई और आपराधिक जांच में देरी की, जिससे जवाबदेही तय नहीं हो पाई।

वित्तीय समीक्षा में कैग ने बताया कि राज्य की आय और खर्च के बीच असंतुलन लगातार गहराता जा रहा है। वर्ष 2022-23 में 6,336 करोड़ और 2023-24 में 5,558 करोड़ रुपये का भारी राजस्व घाटा दर्ज किया गया। इसी अवधि में राजकोषीय घाटा क्रमशः 12,380 करोड़ और 11,266 करोड़ रुपये पर रहा। वर्ष 2023-24 में यह घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 5.43% हो गया, जो वर्ष 2019-20 के 3.52% से कहीं अधिक है। इसके साथ ही 2,795 करोड़ रुपये की योजनाओं के उपयोगिता प्रमाणपत्र विभागों द्वारा अब तक प्रस्तुत नहीं किए गए।

कैग की रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करती है। अनुदान पर अत्यधिक निर्भरता, सब्सिडी का बढ़ता बोझ, उपयोगिता प्रमाणपत्रों की कमी और ओपीएस लागू करने के बाद पेंशन निधि का न होना राज्य की वित्तीय सुदृढ़ता के लिए खतरा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सरकार बजट अनुमान में सटीकता और अनुशासन नहीं लाती तो ऋण स्थिरीकरण और वित्तीय धारणीयता के लक्ष्य गंभीर संकट में पड़ सकते हैं। राज्य के नीति-निर्माताओं के लिए यह चेतावनी है कि तात्कालिक राजनीतिक निर्णयों की बजाय दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता को प्राथमिकता दी जाए।

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