उपायुक्त हेम राज बैरवा ने कहा कि यह योजना मछुआरा समुदाय के सशक्तिकरण का सशक्त साधन है।हिमाचल प्रदेश में मछली पालन से बदलेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था का स्वरूप

Nurpur(Shimla)12/11/2025/News India Aaj Tak. State Chief Bureau Vijay Samayal
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना ग्रामीण युवाओं, किसानों और मछुआरा समुदाय के लिए आजीविका का एक नया व स्थायी माध्यम बनकर उभरी है। सरकार का लक्ष्य पारंपरिक खेती के साथ-साथ मत्स्य पालन को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित करना है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आय और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो सकें।
80 प्रतिशत अनुदान, युवाओं व महिलाओं को प्राथमिकता

मत्स्य पालन विभाग के अनुसार, इस योजना के तहत तालाब निर्माण और प्रारंभिक वर्ष की इनपुट लागत (मछली बीज, चारा, औषधि आदि) पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। प्रति हेक्टेयर ₹12.40 लाख की यूनिट लागत निर्धारित की गई है, जिसमें ₹8.40 लाख तालाब निर्माण और ₹4 लाख इनपुट सामग्री के लिए शामिल हैं। लाभार्थी के पास स्वामित्व भूमि या न्यूनतम सात वर्षों के लिए पट्टे पर ली गई भूमि होना आवश्यक है।
बेरोजगार युवाओं, महिलाओं और अनुसूचित वर्ग के आवेदकों को प्राथमिकता दी जा रही है। योजना में शामिल होने से पहले मत्स्य विभाग द्वारा स्थल निरीक्षण और तकनीकी सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त विभाग लाभार्थियों को तकनीकी प्रशिक्षण, बीज आपूर्ति, रोग नियंत्रण, चारा प्रबंधन व विपणन सहायता भी उपलब्ध कराता है।

लाभार्थियों की सफलता कहानियाँ: आत्मनिर्भरता की ओर कदम
तहसील नूरपुर के परगना बदुई के लवली कुमार बताते हैं कि उन्हें योजना के तहत ₹1.39 लाख की सब्सिडी मिली। वे कहते हैं कि अब वे सफलतापूर्वक मत्स्य पालन कर रहे हैं और दो अन्य व्यक्तियों को भी रोजगार दे पा रहे हैं। इसी तरह परगना के राकेश कुमार को ₹1.24 लाख की सब्सिडी प्राप्त हुई है। उनके अनुसार, मत्स्य पालन ने उनके परिवार की आय बढ़ाई है और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
सहायक निदेशक मत्स्य पालन पौंग जलाशय संदीप कुमार
वहीं, फतेहपुर के रमेश चंद्र को ₹1.03 लाख की सहायता प्राप्त हुई, जिसके माध्यम से उन्होंने 1,050 वर्ग मीटर में तालाब का निर्माण करवाया। वे कहते हैं कि यह योजना उनके लिए “आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह” सिद्ध हुई है।

मत्स्य विभाग: सभी वर्गों के लिए समान अनुदान
सहायक निदेशक मत्स्य पालन पौंग जलाशय संदीप कुमार के अनुसार, योजना के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्य वर्ग के सभी लाभार्थियों को समान रूप से 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रति हेक्टेयर ₹12.40 लाख की लागत के आधार पर पात्र लाभार्थियों को यह वित्तीय सहायता दी जाती है। यह योजना ग्रामीण युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक “प्रभावी माध्यम” बन रही है।

सरकार की दृष्टि: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति
उपायुक्त हेम राज बैरवा ने कहा कि यह योजना मछुआरा समुदाय के सशक्तिकरण का सशक्त साधन है। सरकार मत्स्य पालन के आधुनिकीकरण और फिश मार्केटिंग नेटवर्क को मजबूत करने पर काम कर रही है। पोंग बांध क्षेत्र और निचले इलाकों में इस योजना से व्यापक लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा, “मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में हिमाचल के युवाओं के पास अपार संभावनाएँ हैं और सरकार उनकी हरसंभव सहायता कर रही है।”मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना न केवल ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार का सशक्त माध्यम सिद्ध हो रही है, बल्कि हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नए आयाम और विविधता भी प्रदान कर रही है। यह योजना “आत्मनिर्भर हिमाचल” के निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम है।

