शिमला/न्यूज़ इंडिया आजतक संपादक राम प्रकाश
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा रखी गई ‘हिमाचल हाट’ की आधारशिला न केवल एक विकास परियोजना है, बल्कि यह राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। दो करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह आधुनिक हाट आने वाले समय में हिमाचली संस्कृति, परंपरा और हुनर का जीवंत प्रतीक बनेगा।
राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो सुक्खू सरकार ने इस परियोजना के माध्यम से यह संदेश दिया है कि विकास केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि ग्रामीण अंचलों के कारीगरों, बुनकरों और महिला स्वयं सहायता समूहों तक भी उसकी किरणें पहुंचनी चाहिए। ‘हिमाचल हाट’ इसी विचारधारा की ठोस मिसाल है — जहां सत्ता का उद्देश्य केवल सत्ता नहीं, बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक अवसर और सम्मान पहुंचाना है।
हिमाचल हाट में कुल 24–25 दुकानों का निर्माण होगा, जो प्रदेश के 12 जिलों के महिला स्वयं सहायता समूहों को आवंटित की जाएंगी। यहां पर ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार हस्तशिल्प, हथकरघा, जैविक खाद्य उत्पाद और पारंपरिक हिमाचली व्यंजन एक ही छत के नीचे मिलेंगे। यह केवल एक बाजार नहीं, बल्कि ‘गांव से शहरी उपभोक्ता तक’ का सेतु बनेगा, जिससे महिलाओं को स्थायी आय, रोजगार और पहचान मिलेगी।
यह योजना राज्य सरकार की उस नीति को भी मजबूती देती है, जिसमें हिम ईरा ब्रांड के तहत स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इससे न केवल स्थानीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा मिलेगी।
जनहित के दृष्टिकोण से, यह हाट पर्यटन की राजधानी शिमला में एक नया आकर्षण केंद्र बनेगा। सैलानियों को हिमाचल के हर जिले की संस्कृति, कला और स्वाद एक ही स्थान पर देखने को मिलेगा। इससे जहां राज्य की पर्यटन आय बढ़ेगी, वहीं ‘लोकल फॉर वोकल’ की भावना को भी वास्तविक रूप मिलेगा।
निश्चित ही, यह परियोजना केवल व्यापार या पर्यटन तक सीमित नहीं है — यह महिलाओं के आत्मसम्मान, ग्रामीण स्वावलंबन और सांस्कृतिक संरक्षण की एक समग्र पहल है। यदि इस मॉडल को अन्य जिलों में भी विस्तार दिया जाए तो हिमाचल आने वाले वर्षों में ‘ग्रामीण उद्यमिता राज्य’ के रूप में उभर सकता है।

