Jawali
News India Aaj Tak Office Bharmad, Editor Ram Prakash Vats
भाजपा के युवा सम्मेलन से पूर्व ज्वाली क्षेत्र में आज उत्साह और जोश का अभूतपूर्व नज़ारा देखने को मिला।

सुबह विशाल मोटरसाइकिल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भगवा ध्वज लहराते हुए भाग लिया। रैली के दौरान “जय श्री राम” और “भारत माता की जय” के नारों से सम्पूर्ण क्षेत्र गूंज उठा।
कार्यकर्ताओं का भारी हजूम कैहरियां चौक पर पहुंचा, जहां जनसमर्थन का ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने पूरे इलाके का माहौल चुनावी रंग में रंग दिया। रैली में युवाओं का जोश इतना प्रबल था कि कुछ समय के लिए यातायात भी प्रभावित हुआ। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस विभाग ने यातायात नियमों के तहत जाम की शिकायत दर्ज की है और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया गया।

इसके बाद, रैली भव्य रूप में सभा स्थल की ओर रवाना हुई, जहां सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर सम्मेलन में शामिल हुए। मोटरसाइकिलों की लंबी कतारें और युवा शक्ति का यह प्रदर्शन भाजपा के संगठनात्मक बल का स्पष्ट संकेत था। ज्वाली में यह आयोजन न केवल राजनीतिक ऊर्जा का प्रतीक रहा, बल्कि यह भी दर्शाता है कि 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी अब पूरे जोरों पर है।

ज्वाली विधानसभा में स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी—सरकार की नीतियों पर उठे सवाल
भारतीय जनता पार्टी के युवा सम्मेलन में जोश और जनभावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अवसर पर पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में ज्वाली क्षेत्र के संभावित दावेदार संत गुलेरिया ने प्रदेश सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार किया। अपने संबोधन में उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ज्वाली विधानसभा क्षेत्र आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में उपेक्षा का शिकार है।
उन्होंने कहा कि ज्वाली सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है, न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही आवश्यक उपकरण या दवाएं। जबकि, इसके विपरीत नूरपुर, फतेहपुर, धर्मशाला और पालमपुर जैसे क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचा तुलनात्मक रूप से मजबूत है। गुलेरिया ने सवाल उठाया कि जब सरकार के शीर्ष मंत्री स्वयं इसी क्षेत्र से आते हैं, तो फिर ज्वाली अस्पताल को सुविधाओं से सुसज्जित क्यों नहीं किया जा सका? क्या यह क्षेत्र सिर्फ चुनावी वादों तक सीमित रह जाएगा?

अपने भाषण में उन्होंने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर मित्र-मुलाजिम नीति के माध्यम से शोषण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार अस्थायी कर्मचारियों से कार्य तो पूर्ण वेतन पर लेती है, लेकिन उन्हें केवल सात या आठ हजार रुपये का मानदेय देती है, जबकि नियमों के अनुसार न्यूनतम बारह हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाना चाहिए। उन्होंने घोषणा की कि इस अन्याय के विरुद्ध वे शीघ्र ही हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे, ताकि प्रदेश के युवाओं और कर्मचारियों को न्याय मिल सके।
संजय गुलेरिया ने कहा कि दवाइयों के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है, परंतु यदि जमीनी स्तर पर अस्पतालों में सुविधा और पारदर्शिता नहीं लाई गई तो यह प्रगति केवल कागज़ों तक सीमित रह जाएगी। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे जनसेवा और जनजागरूकता को अपना लक्ष्य बनाएं, क्योंकि सशक्त समाज का निर्माण स्वस्थ नागरिकों से ही संभव है।इस प्रकार, भाजपा के युवा सम्मेलन में संजय गुलेरिया का यह संबोधन न केवल ज्वाली क्षेत्र की स्वास्थ्य स्थिति का आईना था, बल्कि सरकारी उदासीनता के विरुद्ध जनता की आवाज़ भी बनकर गूंजा
संजय गुलेरिया करेंगे हाईकोर्ट में याचिका — “मित्र-मुलाजिम नीति” पर उठाया सवाल
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय गुलेरिया ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में “मित्र-मुलाजिम नीति” के माध्यम से योग्यता और नियमों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लगभग हर विभाग में अब योग्य उम्मीदवारों के स्थान पर ‘सरकार के करीबी’ व्यक्तियों की नियुक्तियां की जा रही हैं।
गुलेरिया ने आरोप लगाया कि सरकार अस्थायी कर्मचारियों से तो पूर्ण कार्य करवा रही है, परंतु उन्हें न्यूनतम वेतन का भी लाभ नहीं दे रही। उन्होंने कहा—“सरकार अस्थायी कर्मचारियों से पूरा समय और जिम्मेदारी तो स्थायी कर्मचारियों जैसी लेती है, लेकिन उन्हें मात्र सात से आठ हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय देकर उनका शोषण कर रही है। यह प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ घोर अन्याय है।”उन्होंने यह भी कहा कि नियमानुसार राज्य सरकार को न्यूनतम 12,000 रुपये प्रतिमाह का वेतन देना चाहिए, परंतु यह नीति केवल कागज़ों में सीमित रह गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस असमानता को दूर नहीं किया गया तो वे शीघ्र ही हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे।
गुलेरिया ने कहा कि उनका यह कदम किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं बल्कि प्रदेश के युवाओं और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए होगा। “अब वक्त आ गया है कि न्यायालय इस भेदभावपूर्ण नीति पर संज्ञान ले और योग्य युवाओं को उनका हक मिले,” उन्होंने कहा।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गुलेरिया का यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है। विपक्ष पहले से ही सरकार पर “पक्षपातपूर्ण नियुक्तियों” और “वेतन असमानता” को लेकर निशाना साध रहा है।
यदि यह मामला अदालत तक पहुंचता है, तो यह प्रदेश में अस्थायी कर्मचारियों की दशा और रोजगार नीतियों पर व्यापक बहस को जन्म दे सकता है।

