शिमला , 11/10/2025 सूत्र हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका (petition) दायर की गई थी, जिसमें अदालत ने उपायुक्त कांगड़ा के कार्यालय को 30 सितंबर तक किसी विशेष मामले का निपटारा करने का स्पष्ट आदेश दिया था।लेकिन अदालत के निर्देश के बावजूद समय पर कार्रवाई नहीं की गई, जिससे यह न्यायालय की अवमानना (court contempt) का मामला बन गया।
अदालत की सख्त टिप्पणीन्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि —“उपायुक्त का कार्यालय एक संवैधानिक संस्थान है, और उसे शोभा नहीं देता कि वह अदालत के आदेश की अवहेलना करे।”अदालत ने यह भी कहा कि यदि किसी कारणवश आदेश का पालन संभव नहीं था, तो समय-विस्तार (extension) के लिए अदालत से अनुमति लेनी चाहिए थी, न कि आदेश को अनदेखा करना चाहिए था।-
डीसी कार्यालय की प्रतिक्रियासुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद संबंधित अधिकारी (संभवतः एडीएम या कोई वरिष्ठ अधिकारी) नेबिना शर्त माफी मांगी,और अदालत को आश्वासन दिया कि अब आदेश का पालन तुरंत किया जाएगा।अदालत ने उनकी माफी को रिकॉर्ड पर दर्ज किया और अवमानना की कार्यवाही समाप्त कर दी, लेकिन एक कड़ी चेतावनी भी दी।—
आगे का निर्देश :-याचिकाकर्ता के मामले पर 15 अक्तूबर तक निर्णय लेने का आदेश दिया गया है।याचिकाकर्ता को 13 अक्तूबर सुबह 11 बजे डीसी कांगड़ा के कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
हलांकि यह मामला मूलतः अदालत के आदेश की अवहेलना (non-compliance) से जुड़ा था।हालांकि डीसी कार्यालय ने माफी मांगकर कार्यवाही से राहत पा ली, लेकिन अदालत ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

